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Saturday, 12 October 2024

अच्छाई की बुराई पर जीत की शुभकामनाएं

नशे में धुत्त होकर हर रात, बीवी बच्चों को करता प्रताड़ित बाप है,
निर्बल को पुरुषत्व दिखाता, मूक बधिर समाज का ये श्राप है,
स्वाभाविक सी ही अब लगती, इस मार पीट की शुभकामनाएं,
अच्छाई की बुराई पर जीत की शुभकामनाएं |

बाबू साहेब के गाड़ी - बंगले, हाथ अंगूठी - ब्रेसलेट,
रामू काका का छप्पर भी फूटा, ना चूल्हा ना घासलेट,
ए सी में कम्बल ओढ़ने वालो को, खून जमाने वाली शीत की शुभकामनाएं
अच्छाई की बुराई पर जीत की शुभकामनाएं |

सवार जिन कंधों पर होकर, आए नेता जी मंत्रालय के द्वार तक,
लड़ा कर उन को ही आपस में, करते वे पार्टी सुबह चार तक,
संवेदनशून्य ऐसे नेतृत्व को, मॉडर्न राजनीत की शुभकामनाएं,
अच्छाई की बुराई पर जीत की शुभकामनाएं |

"नाम में क्या रक्खा है", बोलने के कुछ बाद, "वैसे पूरा क्या लिखते हो ?" वे कहते,
और कांच की पात्रता वाले को स्टील के पात्र में पानी देना वे कतई न सहते,
मनुष्य को मनुष्य से भिन्न बतलाती ऐसी रीत की शुभकामनाएं,
अच्छाई की बुराई पर जीत की शुभकामनाएं |

"ये नहीं पहनना","वहां नहीं जाना", बेटियों को डर के रहना खूब सिखाते हैं,
पर उन वहशियों पर अंकुश न लगा सके, जो राक्षसों को भी देवतुल्य दिखाते हैं,
पितृसत्तावाद से ग्रसित, धृतराष्ट्रों को पुत्र-प्रीत की शुभकामनाएं,
अच्छाई की बुराई पर जीत की शुभकामनाएं |

- कुलदीप

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