क्या हुआ मनुष्य , तू तो बड़ा महान था
अपने बल और बुद्धि पर तुझे, तो बड़ा अभिमान था,
आज मानवता की सुध ये कैसे, कल तक तो हाथ में गिरेबान था,
क्या हुआ मनुष्य ? तू तो बड़ा महान था .
मोड़ डाली नदिया तूने, खोद डाले पर्वत बड़े बड़े,
जोड़ दिए समंदर, कर दिए ऊँचे ऊँचे ये पुल खड़े,
पूछते ये प्रश्न तुझसे, क्यों है आज खाली पड़े ?
आएगा ऐसा भी दिन इसका क्या तुझे अनुमान था ?
क्या हुआ मनुष्य ? तू तो बड़ा महान था.
मधुर लग रहा है न अब तुमको, चिड़ियों का ये चहचहाना ?
घोंसले इनके फिर क्यों उजाड़े, तारो का जाल जब था बिछाना,
तब तो न तेरे लिए धरती का, हर जीव-जंतु समान था,
क्या हुआ मनुष्य ? तू तो बड़ा महान था.
कहाँ गए ज्योतिष-हकीम तुम्हारे, कहाँ गए पण्डे-मौलवी,
बरगलाते थे जो तुमको, थे कुछ नेता और भी,
याद रखना जब जब आयी विपत्ति, आस सिर्फ विज्ञान था,
क्या हुआ मनुष्य ? तू तो बड़ा महान था.
मानव तो हैं बहुतेरे, पर मानवता तब भी मर रही है,
ज़रूरत से अधिक राशन से जब बोरी तेरी भर रही है,
बाकियो के लिए क्या बचेगा इसका क्या तुझे संज्ञान था ?
क्या हुआ मनुष्य ? तू तो बड़ा महान था.
केवल अपने निज स्वार्थ सिद्ध करके, मानवता का मत विरोध करो,
हर एक का जीवन है हर एक की ज़िम्मेदारी, इस बात का कुछ बोध करो,
आपदा ही नहीं, सामान्य परिस्थि में भी जब, परायों की चिंता कर पाएगा,
उस दिन मनुष्य सच्चे शब्दों में, तू महान कहलायेगा.
- कुलदीप
अपने बल और बुद्धि पर तुझे, तो बड़ा अभिमान था,
आज मानवता की सुध ये कैसे, कल तक तो हाथ में गिरेबान था,
क्या हुआ मनुष्य ? तू तो बड़ा महान था .
मोड़ डाली नदिया तूने, खोद डाले पर्वत बड़े बड़े,
जोड़ दिए समंदर, कर दिए ऊँचे ऊँचे ये पुल खड़े,
पूछते ये प्रश्न तुझसे, क्यों है आज खाली पड़े ?
आएगा ऐसा भी दिन इसका क्या तुझे अनुमान था ?
क्या हुआ मनुष्य ? तू तो बड़ा महान था.
मधुर लग रहा है न अब तुमको, चिड़ियों का ये चहचहाना ?
घोंसले इनके फिर क्यों उजाड़े, तारो का जाल जब था बिछाना,
तब तो न तेरे लिए धरती का, हर जीव-जंतु समान था,
क्या हुआ मनुष्य ? तू तो बड़ा महान था.
कहाँ गए ज्योतिष-हकीम तुम्हारे, कहाँ गए पण्डे-मौलवी,
बरगलाते थे जो तुमको, थे कुछ नेता और भी,
याद रखना जब जब आयी विपत्ति, आस सिर्फ विज्ञान था,
क्या हुआ मनुष्य ? तू तो बड़ा महान था.
मानव तो हैं बहुतेरे, पर मानवता तब भी मर रही है,
ज़रूरत से अधिक राशन से जब बोरी तेरी भर रही है,
बाकियो के लिए क्या बचेगा इसका क्या तुझे संज्ञान था ?
क्या हुआ मनुष्य ? तू तो बड़ा महान था.
केवल अपने निज स्वार्थ सिद्ध करके, मानवता का मत विरोध करो,
हर एक का जीवन है हर एक की ज़िम्मेदारी, इस बात का कुछ बोध करो,
आपदा ही नहीं, सामान्य परिस्थि में भी जब, परायों की चिंता कर पाएगा,
उस दिन मनुष्य सच्चे शब्दों में, तू महान कहलायेगा.
- कुलदीप
If the whole world was to shown a mirror, there is no better way to do it!
ReplyDeleteThank you for your kind comment.
DeleteNice lines kuldeep proud of you
ReplyDeleteThank you so much
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