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Monday, 15 August 2016

तभी तुम आज़ाद हो ।

संकट का जब पहर पड़े,
विपदा की घटा छायी हो,
हुँकार भरो, उतरो रण में,
तभी तुम लक्ष्मी बाई हो ।

जैसे खड़ा रहता विशाल वृक्ष,
चाहें कितनी ही भीषण आंधी हो,
करो बदलाव वैसी ही ज़िद करके,
तभी तुम महात्मा गांधी हो ।

टेको ना घुटने तुम कभी,
ना कभी निराश हो,
रक्त को कर दो तुम अमृत,
तभी तुम नेता सुभाष हो ।

गर्जना कुछ यूँ करो,
गूंजमय सम्पूर्ण जगत हो,
सर चढ़ कर बोले इंकलाब,
तभी तुम शहीद भगत हो ।

लिए तमन्ना सरफरोशी की,
चल पड़ो जब शंखनाद हो,
शीश कटें सौ, झुके न कभी एक,
तभी तुम आज़ाद हो ।


- कुलदीप