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Tuesday, 24 October 2023

How To रावण

विजयदशमी की शुभकामनाएं | विजयदशमी वैसे तो पूर्व में हो चुकी घटना की स्मृति फिर ताज़ा करने के लिए मानते हैं, तो इसमें कामना करने का ज़्यादा स्कोप है नहीं, पर चलो फिर भी कामना करते हैं कि जलते रावण से कोई पटाखा निकल के आपके सर पर न आ गिरे | Influencer economy (इन्फ्लुएंसर इकोनॉमी) का ज़माना है, कुछ लोग पूछ सकते हैं किन fluencer के ज़माने की बात कर रहा हूँ | मेरे ऐसे मित्रो को बताता चलूं की जो लोग Internet (इंटरनेट) पर आ कर आपको जीने के तौर तरीको पर ज्ञान देते हैं उनको Influencer कहते हैं | अब जिसके मन में सवाल आया हो कि किन-टरनेट पर आने की बात कर रहा हूँ ? तो उनको में आगे का ना पढ़ के समय बचाने की शुभकामना देता हूँ |

रावण के बारे में विभिन्न स्त्रोतों से जाना जाए, (मणिरत्नम कि फ़िल्म को स्त्रोत न मानते हुए), तो हम दृढ़ता से विश्रवा-पुत्र रावण को Influencer शीर्ष की उपाधि प्रदान कर सकते हैं | जहां पश्चिम में लोगो ने अब जाकर खुद को कुत्ते-बिल्ली आदि से Identify करना शुरू किया है, रावण ने युगों पूर्व खुद को एक मृग से identify कर इस प्रथा की शुरुवात कर दी थी |  पश्चिमी influencers को रावण ने और भी गहरे रूप से प्रभावित किया है | ग़ौरतलब है, कि पिछले कुछ सालों में first world country से लोग डिजिटल नोमेड बनने के नाम पर किसी सुंदर सी third world country में आके बस जाते हैं, और  purchasing power parity (आय डॉलर में, खर्च कोड़ियों में) के गणित के कारण राजा की ज़िन्दगी बिताते हैं, इस प्रथा को भी जन्म देने वाला रावण को माना जा सकता है, जिसने अपने जन्मभूमि delhi ncr की अति प्रतियोगी जीवनशैली को छोड़ पास के प्राकृतिक सौंदर्य से पूर्ण island nation (द्वीप देश) में राजा की तरह जीवन व्यतीत करने की समझदारी दिखाई |

रावण सिर्फ पश्चिम को ही नही, स्वदेशी युवाओं को भी बखूबी influence करता रहा है | जहां रावण नें अपनी "सोने की लंका" स्थापित की थी, उस ही तर्ज पर चलते हुए हमारे engineering के छात्रों ने रात रात भर TV सीरीज देखने, और US clients के लिए काम करने वाले MNC के कर्मियों ने night shift कर अपनी-अपनी "सोने की लंका" लगा दी | पिछले कुछ वर्षों ने हिंदी Rap म्यूजिक का उद्भव देखा है, पर अगर हम भारत में लिखे सर्वप्रथम और सर्वश्रेष्ट lyrics को देखें तो "शिव तांडव स्त्रोतम" बेमिसाल है, और उसका रचयिता ? बिल्कुल ठीक पहचान, influencer शिरोमणी रावण | कह सकते हैं कि यह रावण का ही प्रभाव है, जिस कारण सही का साथ देने के बावजूद विभीषण को इसलिए समाज में इज़्ज़त नही मिलती क्योंकि उसने "Bro Code" का पालन नहीं किया |

सिर्फ influencer ही नहीं रावण को trendsetter (ट्रेंड सेटर) भी कहा जा सकता है, वैसे हैं दोनो पर्यायवाची ही | जहां लोगो ने अब जाकर अपने बच्चों का नाम फिल्मी हीरो-हीरोइनों के नाम पर रखना शुरू किया है, दूरदर्शी रावण ने, सदियों पहले अपने पुत्र का नाम अक्षय कुमार रखा हुआ था | गहन विचार करने पर लगता है, मनोरंजन और खाने पीने की जगह में per person के बजाय per head के हिसाब से दर की शुरुआत भी कहीं न कहीं रावण के कारण ही हुई होगी | रावण की मृत्यु भले ही बाण लगने से हुई हो, पर पुतला जलाने का trend कैसे सेट हो गया, पता नही | पर देखने वाली बात ये है, कि रावण तो रावण, रावण का पुतला भी इतना बड़ा trendsetter (ट्रेंड सेटर) निकला, कि उसने पुतले जलाने का trend शुरू करा दिया | अब अगर फलाना व्यक्ति को ढिकाना व्यक्ति की कोई बात पसंद नहीं आती, तो वह फलाना को रावण की संज्ञा देके, अपने समर्थकों के साथ, उसके नाम का पुतला फूंक सकता है |

इस स्तर का influencer आज तक शायद ही कोई रहा हो कि उसका पुतला भी influencer हो | शायद रावण अगर आज सोशल मीडिया पर होता, तो अच्छे खासे तादाद में फॉलोवर्स (चेले) ज़रूर होते|इस whataboutery (अर्थात "पर उस पर क्यों नही बोला")  के ज़माने में, सीता माता के हरण को भी शायद उसके फॉलोवर्स यह कहके defend कर लेते की पहले रावण की बहन की नाक लक्ष्मण जी ने काटी, तब किसी ने विरोध क्यों नही किया |खैर यूँ होता तो क्या होता का तो कोई जवाब नही है, और इस फेर में पड़ना भी नही चाहिए, क्योंकि जैसा बताया, ज़माना whataboutery का है |

वैसे रावण से influence होने के लिए एक अच्छा गुण भी है, वो है कि रावण "consent" ( स्वीकृति ) का समर्थक था | सीता माता को हर लेने के बाद भी वह खुद को उन के द्वारा स्वीकृत किये जाने की कोशिशें करता रहा, पर कोई सीमा नहीं लाँघि | इस मामले में आज के लोग रावण से  influence हो जाएँ तो कोई बुराई न होगी |

बहरहाल, रावण के influence potential (प्रभाव करने की क्षमता) पर जितना लिखा जाए कम है | उसका अंदाज़ा इस ही बात से लगाया जा सकता है की साल में एक अतिरिक्त छुट्टी ही उसके कारण मिल जाती है | कोई अपने पुरखों को याद करे ना करे, पर रावण को तो एक बार याद कर ही लेता है | रावण अपने आप में दशहरे के रूप में एक अर्थ-व्यवस्था बन के उभरा है, जो आतिशबाजों को, रामलीला मंचन करने वाले कलाकारों को, बड़े बड़े उद्योगों के विज्ञापन विभागों को, व मुझ जैसे स्वघोषित लेखकों को, कुछ काम दे ही जाता है | उम्मीद है कि रावण का influence (प्रभाव) बना रहेगा, हालांकि दुख भी यही है |


- कुलदीप